Tuesday, 29 October 2013

भारत की राजनीतिक व्यवस्था




 किसी देश का भविष्य उसकी  राजनीतिक व्यवस्था पर निर्भर करती है। भ्रष्ट राजनीतिक व्यवस्था देश को गर्त की ओर ले जाती है। देश की जनता कितनी भी सक्षम और समर्थ हो, लेकिन  भ्रष्ट व्यवस्था होने से देश को बदहाली की ओर ले जाने से उसे कोई रोक नहीं सकता है। अगर विश्व के इतिहास को देखें तो पता चलता है कि किसी देश की राजनीतिक व्यवस्था एक बार भ्रष्ट हुई तब उसे वापस पटरी में लाना अत्यंत कठिन होता है। भ्रष्ट  राजनीतिक व्यवस्था विदेशी ताकतों को देश में दखल देने का मौका देती है।  और जब देश एक बार गुलामी  के दलदल में फॅसा तब देश को अपनी प्रभुसत्ता स्थापित करने में शताब्दियां लग जाती हैं। वर्त्तमान युग में देश की अर्थव्यवस्था देश की राजनीतिक व्यवस्था से प्रत्यक्ष जुडी रहती है। भ्रष्ट राजनीतिक व्यवस्था देश की अर्थ तंत्र को बदहाल कर देती है। अगर भारत की  राजनीतिक व्यवस्था का विश्लेषण करें तब हम देखते हैं कि भारत की राजनीतिक  व्यवस्था एक कमजोर बुनयाद पर खड़ी है।  भारत के राजनीतिक व्यवस्था के बुनयाद को सबसे अधिक कांग्रेस पार्टी ने कमजोर किया है।  स्वर्गीय जवाहरलाल नेहरू सत्रह वर्षों तक कांग्रेस के सर्वे - सर्वा थे।  लेकिन  जवाहरलाल नेहरू ने कांग्रेस में संगठन के मूल्यों को स्थापित करने का कभी प्रयास नहीं किया।  एक तरह से महात्मा गांधी ने जिस भावनाओं के साथ कांग्रेस के संगठन की जिम्मेदारी जवाहरलाल नेहरू  दी थी जवाहरलाल नेहरू महात्मा गांधी के उन भावनाओं में खरे नहीं उतर सकेएक तरह से जवाहरलाल नेहरू ने कांग्रेस पार्टी में वंशवाद की बुनयाद रखी थीं।  कांग्रेस की कमजोर संगठन व्यवस्था ने पूरे भारत की राजनीतिक पार्टियों को गलत सन्देश दिया। एक तरह कांग्रेस ने  पूरे भारत की राजनीतिक पार्टियों के संस्कृति को गन्दा किया। वर्त्तमान समय में, भारत में क्षेत्रीय पार्टियों का वर्चस्व बड़ रहा है।  लेकिन दुर्भाग्य से भारत की
 क्षेत्रीय पार्टियों कमजोर संगठन में खड़ी है।  सवाल उठता है कि जो राजनीतिक पार्टियां अपने संगठन की बुनयाद को मजबूत नहीं कर सकती है वे राजनीतिक पार्टियां भारत की राजनीतिक   व्यवस्था को  मजबूती कैसे प्रदान कर सकती है। जिस तरह से किसी देश की अर्थव्यवस्था को हम उसके शेयर मार्केट से समझ सकते हैं।  उसी तरह किसी देश के  राजनीतिक पार्टियों से ढाँचे को समझ कर हम उस देश की  राजनीतिक व्यवस्था के भविष्य को समझ सकते  हैं। अगर भारत को विकसित राष्ट्र बनाना है और भारत को विश्व की महाशक्ति बनाना है तब भारत के राजनीतिक पार्टियों के संघठन के बुनयाद को मजबूत बनाना होगा।

 
--- कुमार अभिषेक विद्यार्थी
    30th  अक्टूबर 2013
   
M No: 9891004964
           9968125454




Monday, 28 October 2013

27 अक्टूबर की श्री अरविन्द केजरीवाल जी की कामयाब जनसभा


 कल 27  अक्टूबर शाम छह बजे  पटपडगंज विधानसभा क्षेत्र में श्री अरविन्द केजरीवाल जी की जनसभा हुई I श्री  राम चौक मंडावली में भारी संख्या में लोग श्री अरविन्द केजरीवाल जी को सुनने आये थे I लोगों की भीड़ और उत्साह देखने लायक था I लोगों का गगन भेदी नारा दिल्ली विधान सभा के चुनाव में होने वाले चमत्कार की ओर इशारा कर रहे थें I साधारण रूप में यह कहें कि आम आदमी पार्टी की प्रत्येक जनसभा भाजपा और कांग्रेस के आत्मविश्वास को कम करती है तो यह  गलत नहीं होगा I यह जनसभा एक कामयाब जनसभा थी I लोग अपने घरों के छत से श्री अरविन्द केजरीवाल जी और श्री मनीष सिसोदिया जी के भाषण सुन रहे थे I श्री सिसोदिया जी के भाषण दिलों में जोश और शरीर  में कम्पन पैदा कर रहे थे I उनके भाषण में दिल्ली में इंकलाब लाने की भावना साफ़ झलक रही थी I वास्तव में, पटपडगंज विधानसभा में श्री मनीष जी की स्थिति अपने विरोधियों के सामने बहुत अधिक मजबूत है I जमीनी हकीकत देखा जाए तो श्री सिसोदिया जी रिकॉर्ड मतों से पटपडगंज विधानसभा में अपनी जीत सुनिश्चित करेंगे I वास्तव मेंयह कामयाब जनसभा पटपडगंज के आस-पास  के विधानसभा के क्षेत्रो में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों के जीत में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रभाव डालेगा I श्री अरविन्द केजरीवाल जी ने अपने एक घंटे के भाषण में भारत की वर्त्तमान राजनीतिक व्यवस्था की चर्चा की और अन्य राजनीतिक दलों की कथनी और करनी के फर्क को प्रदर्शित किया I श्री अरविन्द जी के तर्कपूर्ण भाषण ने लोगों को आम आदमी पार्टी की प्रासंगिगता के विषय में सोचने को मजबूर कर दिया I मैंने देखा है कि श्री अरविन्द केजरीवाल  जी के भाषण जनता के साथ प्रत्यक्ष संवाद बनाने में सफल हो जाते हैं I  मुझे पूरा विश्वास है कि अगले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी पूर्ण बहुमत के साथ जीत दर्ज करेगी और दिल्ली में अपनी सरकार बनाएगी I आम आदमी पार्टी दिल्ली में अपनी सरकार बनाएगी क्योंकि दिल्ली की आधी से अधिक जनता आम आदमी पार्टी के साथ है I

--- कुमार अभिषेक विद्यार्थी
     28  अक्टूबर 2013  

   M No: 9891004964
           9968125454




     

Friday, 18 October 2013

अन्ना के आन्दोलन ने  जनभावनाओं को प्रदर्शित किया था I

   2011 का वर्ष अन्ना के भ्रष्टाचार के जनांदोलन के रूप में जाना जा सकता है I अन्ना के आन्दोलन में दिल्ली की जनता सक्रिय रूप से जुड़ गई थी और सम्पूर्ण भारत की जनभावनाएं अन्ना के आन्दोलन से  जुड़ गई थी I इस आन्दोलन ने पूरे भारत को भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई में एक कर दिया था I इस आन्दोलन ने पूरे विश्व को प्रभावित किया था एक तरह से आम आदमी इस आन्दोलन के माध्यम से भ्रष्टाचार- मुक्त भारत का सपना देखने में हिचक महसूस नहीं कर रहा था I लेकिन भारत के राजनीतिक दलों के विश्वासघात के कारण यह आन्दोलन अपने उद्देश को प्राप्त करने में सफल नहीं हो सका I लेकिन इस आन्दोलन के गर्भ से आम आदमी पार्टी का उदय हुआ I जिसने भारत की भ्रष्ट व्यवस्था को बदलने का लक्ष्य रखा I वर्त्तमान समय में भारत की अन्य राजनीतिक पार्टियाँ कमजोर बुनयाद में खड़ी है I इन राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं में स्वार्थ पूर्ति की भावनाएं हैं I इनके कार्यकर्ताओं में व्यवस्था परिवर्तन की समझ और व्यवस्था परिवर्तन की इच्छा शक्ति दोनों का अभाव है
----- कुमार अभिषेक विद्यार्थी

      19th अक्टूबर 2013