आज मैं चर्चा करूंगा कि मनुष्य खुद को खुश कैसे रख सकता है । सर्वप्रथम, हमें मनुष्य कि संरचना को समझना होगा । हमें मनुष्य की भावनाओं को समझना होगा । हमें समझना होगा कि मनुष्य की भावनाएं प्रभावित कैसे होती हैं । मनुष्यों के अंदर तीन महत्वपूर्ण तत्व होती है जो उसे प्रगति की ओर अग्रसर करती है । Conscious mind, subconscious माइंड और आत्मा । Conscious माइंड सही गलत का निर्णय लेती है। Subconscious माइंड एक कंप्यूटर की तरह होता है । जिसमें हम अपने निर्देश प्रोग्राम के माध्यम से भेजते हैं । Conscious mind के माध्यम से हम अपने subconscious माइंड को निर्देश देते हैं और वह कार्य करने लगता है । हमारे subconscious माइंड में कुछ प्रोग्राम इनबिल्ट होती है । इसमें एक प्रोग्राम है स्वयं को हानि से बचाना और लाभ की ओर ले जाना । हानि होने में दुख की अहसास कराना और लाभ होने में सुख की अनुभति प्रदान करना । हमारे शरीर के अंदर एक आत्मा विद्यमान होती है। जिसमें आलौकिक शक्तियां होती है । आत्मा हमारी सभी क्रियाओं में हस्तक्षेप नहीं करती है । वे कभी - कभी अंतरात्मा के आवाज के माध्यम से अपनी इच्छा को व्यक्त करती है। लेकिन हमारी आत्मा भी अपनी आवश्यकता के प्रति सचेत रहती है ।
मैं आप सब को बताना चाहता हूं कि सुख और दुख हमारे subconscious माइंड से उत्पन्न होता है ।
मैं आप सब के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत करना चाहता हूं । आप एक सामान की खरीदारी करने के लिए बाजार जाते हैं । समान का मूल्य 10000 रुपया है। आप अपने negotiation स्किल के माध्यम से 8000 में ही प्राप्त कर लेते हो । आपको 2000 रूपए का लाभ हुआ । आप प्रसन्न हो जाएंगे । अगर मूल्य वृद्धि के कारण यह समान आपको 12000 हजार में प्राप्त हो तो आपको दुख होगा ।
Human is an animal of emotions. अथार्थ मनुष्य भावनाओं का गुलाम है । अगर भावनाओं और कॉन्शियस माइंड के बीच में युद्ध होता है तब भावनाओं की जीत सुनिश्चित रहती है ।
अगर हम चाहते हैं कि हम अधिक सुखी रहें तब हमें भावनाओं पर नियन्त्रण करने की कला जाननी होगी । एक कहावत है कि जीवन जीना एक कला है। हमें अपने कॉन्शियस माइंड के माध्यम से फिल्टर करके अपने subconscious माइंड में विचार भेजना होगा ।
दूसरों से तुलना करना सबसे घातक होता ।
हमें खुद को सुखी रखने के लिए, कभी किसी से तुलना नहीं करनी चाहिए । सभी लोगों की अपनी - अपनी योग्यता होती है । सभी अपनी - अपनी क्षमता के माध्यम से समाज को सेवा प्रदान करते हैं । जब आप तुलना के माध्यम से अपने subconscious माइंड को यह संदेश देगें कि गलत निर्णय के कारण वे दूसरों पिछड़ गए तो आपका दुखी होना स्वाभाविक है । अतः हमें अपने subconscious माइंड को ये संदेश देने होंगे कि जीवन में उसे को मिला है, उससे वह संतुष्ट है तब उसे सुख की अनुभूति होगी ।
हमारे जीवन में आत्मा का महत्पूर्ण स्थान होता है । आत्मा अमर होती है । एक शरीर से दूसरे शरीर में जाना आत्मा का स्वभाव होता है । आत्मा की अपनी आवश्यकता होती है । आत्मा की आवश्यकता की पूर्ति के अभाव में मनुष्य और आत्मा के बीच में संघर्ष होना स्वाभाविक है ।
अच्छी किताबें आत्मा की खुराक होती है । हमें रोज अच्छी किताबें पढ़ना चिहिये । इससे हमें सुख की अनुभूति होगी । नियमित रूप से पूजा पाठ करने से आत्मा संतुष्ट रहती है । परिवार एवं समाज के लिए उपयोगी कार्यों को करने से भी आत्मा सुख का अनुभव करती है ।
अतः जो मनुष्य अपनी इच्छा को पूर्ति करने के साथ - साथ अपनी भावनाओं एवं आत्मा को संतुष्ट रखता है । वह सदैव सुखी रहता है ।
Thanks
Kumar Abhishek Vidyarthi
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